IAS Success Story : बचपन में खो दी आंखों की रोशनी, जब मां ने कहा अब कौन करेगा शादी

IAS Success Story of Tapaswini Das बचपन में खो दी आंखों की रोशनी, जब मां ने कहा अब कौन करेगा इसे शादी तो बेटी ने बोली ‘मैं अफसर बनूंगी!’ : आज हम जिस महिला अफसर के बारे में बात करने जा रहे हैं बचपन में ही उन्होंने अपने आंखों की रोशनी खोदी। मां को उनकी बेटी की शादी की चिंताएं सताने लगी, लेकिन बेटी की पर बोझ न बने इसलिए उन्होंने अफसर बनने का फैसला किया और आज Indian Administrative Service अफसर की कुर्सी पर तैनात हैं। ओडिशा की रहने वाली तपस्विनी दास की आंखों की रोशनी छीनने वाला एक डॉक्टर ही था। आज भले ही तपस्विनी दास एक सिविल अफसर हैं लेकिन उनकी जिंदगी काफी संघर्षों में बिती है।

IAS Success Story of Tapaswini Das

IAS Success Story of Tapaswini Das

IAS Success Story of Tapaswini Das

IAS तपस्विनी दास ने आज वो कर दिखाया है, जो हर किसी के लिए आसान नहीं होता। डॉक्टर की एक गलती की वजह से उनकी दूसरी क्लास में ही आंख की रोशनी चली गई, लेकिन उन्होंने कभी पढ़ाई करनी नहीं छोड़ी। तपस्वनी दान ने ब्रेल लिपि, ऑडियो रिकार्डिंग से पढ़ाई की और अच्छे मार्क्स के साथ सारी क्लास पास करती चली गईं। बेटी की इतनी हिम्मत देख तक मां-बाप ने भी उनको पूरा सपोर्ट किया और वो उनको अपनी बेटी कम बेटा ज्यादा मानने लगे, जिस लड़की को खुद सहारे की जरूरत थी उसने मां-बाप को हमेशा सहारा दिया। और फिर Indian Administrative Service में सफलता मिली |

UPSC IAS Success Story of Tapaswini Das

Union Public Service Commission तपस्विनी के पिता अरुण कुमार दास ओडिशा कॉपरेटिव हाउसिंग कॉर्पोरेशन के रिटायर्ड डिप्टी मैनेजर हैं और मां कृष्णप्रिय मोहंती टीचर हैं। पिता अरुण कुमार अपनी बेटी के बारे में बात करते हुए बताते हैं कि उनके बेटे जैसी तपस्विनी शुरू से ही पढ़ाई में तेज रही हैं। वह 12वीं क्लास में भी टॉपर्स की लिस्ट में शामिल रहीं और स्नातक परीक्षा में भी अच्छे अंक मिले। वह साल 2003 था, जब तपस्विनी दूसरी क्लास में पढ़ रही थीं। एक वाकया उनकी जिंदगी में अंधेरा बिछा गया। ओडिशा के एक बड़े हॉस्पिटल में डॉक्टर की लापरवाही के कारण उनकी आंखों की रोशनी चली गई।

डॉक्टर की एक गलती के चलते तपस्विनी दूसरी क्लास में खोदी थी अपनी आंखों की रोशनी

तपस्विनी के पिता आगे बताते हैं रि तब ही तपस्विनी ने सोच लिया था कि वह अपने नाम को सार्थक करेंगी। बड़ा हासिल करने के लिए तपस्या करेंगी, साधना करेंगी, खुद को हर तरह से साधेंगी। वहीं अपने बारे में बात करते हुए तपस्विनी दास बताती हैं कि साल 2003 की उस भयानक आपबीती ने उन्हे एक तरह से तोड़कर रख दिया था। उनके माता-पिता भी उससे लंबे समय तक यह सोचकर परेशान रहे कि बेटी अब क्या करेगी, कैसे पढ़े-लिखेगी, कैसे उसका शादी-ब्याह होगा। IAS तपस्विनी ने बेहद छोटी उम्र में ये सोच लिया था कि वो न खुद निराश होंगी और न ही अपने माता-पिता को होंने देंगी और हुआ भी ऐसा ही।

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तपस्विनी ने कभी चुनौतियों से हार नहीं मानी

UPSC IAS तपस्विनी ने कभी चुनौतियों से हार नहीं मानी। हर खराब वक़्त में वह अपने आप से कहती हैं कि बेहतर पाने के लिए एक कोशिश करके देखा जाए। तपस्विनी की आंखों की रोशनी चले जाने के बाद वो भले ही आम छात्रों की तरह पढ़ाई नहीं कर सकती थीं लेकिन खुद को संभाला और ब्रेल लिपि से पढ़ाई करने लगीं और मैट्रिक पास हो गईं। तपस्विनी बताती हैं कि दृढ़ निश्चय और धैर्य से कोई भी सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनको अंदर से पूरा विश्वास था कि उनको पहली बार में ही सफलता मिल सकती है। सिविल परीक्षा उन्होंने भुवनेश्वर की उत्कल यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन करते हुए पास की।

IAS तपस्विनी ने Odisha Civil Service Examination 2018 में 161वीं रैंक हासिल की

तपस्विनी आगे बताती हैं कि जब वह 9वीं क्लास में थीं, तभी सोच लिया था कि सिविल परीक्षा में जरूर बैठेंगी। उनका लक्ष्य तो Union Public Service Commission Civil Service Exam को पास करना था, लेकिन ओडिशा सिविल सर्विसेज एग्जाम का विज्ञापन देखने के बाद वह इसकी परीक्षा की तैयारियों में जुट गईं। तपस्विनी ने पहली ही कोशिश में Odisha Civil Service Examination 2018 में 161वीं रैंक हासिल की। तब वह केवल 23 साल की थीं। UPSC Exam में दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए आरक्षण होने के बावजूद तपस्विनी ओडिशा Civil Service Examination में सामान्य उम्मीदवार के तौर पर शामिल हुईं और कामयाबी मिल गई।

हौंसला हो तो कुछ भी किया जा सकता है फिर चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आ जाएं

UPSC IAS ओडिशा में ऐसा दूसरी बार है, जब किसी दृष्टिबाधित उम्मीदवार ने Civil Service Examination पास किया है। इससे पहले साल 2017 में Odisha Civil Service Examination में आठ दृष्टिबाधित उम्मीदवार उत्तीर्ण हुए थे। इस बारे में बात करते हुए तपस्विनी बताती हैं कि जो देख सकते हैं वो किताबे पढ़ सकते हैं लेकिन उनके लिए इतने कठिन एग्जॉम की तैयारी करना सचमुच ही बहुत मुश्किल था, लेकिन कुछ बनने का हौंसला तो पढ़ाई भी की, तैयारी और पास हो कर अफसर बन गईं।

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